Tax Saving: नौकरीपेशा लोग किस तरह से टैक्स बचा सकते हैं? – बहुत सारे नौकरी पेशा लोग टैक्स बचाने के चक्कर में जल्दबाजी में कई गलतियां कर देते हैं। इन गलतियों के चलते उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ता है जिसके चलते उनके निवेश पर कम रिटर्न मिल पाता है और फाइनेंशियल बर्डन भी पड़ जाता है। इसीलिए वित्तीय वर्ष के शुरुआत से ही टैक्स की प्लानिंग करना बहुत ही जरूरी है। वेतन पाने वाले लोगों के पास टैक्स बचाने के बहुत सारे ऑप्शन होते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नौकरी पेशा लोग किस तरह से टैक्स बचा सकते हैं?
नौकरी पेशा लोग किस तरह से टैक्स बचा सकते हैं?
नौकरी पेशा लोगों के पास टैक्स बचाने के कई सारे विकल्प उपलब्ध होते हैं जिसमें नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), इम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), इत्यादि सबसे प्रमुख हैं। वेतन प्राप्त करने वाले लोग आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों के तहत इनकम टैक्स बचा सकते हैं।
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नौकरी पेशा लोगों के लिए टैक्स बचाने के बेहतरीन विकल्प:
इम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF)
वेतन प्राप्त करने वाले लोगों के लिए इम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड टैक्स बचाने का सबसे अच्छा तरीका होता है। इस योजना के तहत इम्प्लॉई और इम्प्लॉयर्स दोनों इम्प्लॉई की सैलरी का 12% ईपीएफ में योगदान देते हैं। इसमें इम्प्लॉई को एक विशेष दर पर वार्षिक ब्याज भी दिया जाता है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। ईपीएफ में अधिकतम 1.5 लाख रुपए वार्षिक जमा करने पर आयकर की धारा 80 सी के तहत इनकम टैक्स में छूट भी प्रदान की जाती है। इसके अलावा 2.5 लाख रुपए तक मिले ब्याज पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होता है और फंड कॉपर्स पर भी कोई टैक्स नहीं देना होता है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)
वेतन प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश करना कर बचाने के उद्देश्य से सबसे अच्छा ऑप्शन होता है। इस योजना के तहत किए जाने वाले निवेश पर आयकर की धारा 80 सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक टैक्स में छूट प्रदान की जाती है। इतना ही नहीं इसमें किए जाने वाले निवेश पर बेहतर रिटर्न भी प्राप्त होता है क्योंकि यह इक्विटी से जुड़ा हुआ है। यह एक प्रकार का म्युचुअल फंड होता है जिस पर टैक्स का लाभ मिलता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
नौकरी पेशा लोगों को टैक्स बचाने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करना सबसे बेहतर विकल्प होता है। इसके जरिए रिटायरमेंट के बाद गारंटीड रिटर्न प्राप्त होता है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करने पर टैक्स में भी छूट मिलता है और साथ ही साथ इस पर मिलने वाले ब्याज और कुल राशि पर भी टैक्स नहीं देना पड़ता है। यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करके आप कई तरह से अपना टैक्स बचा सकते हैं।
टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving FD)
नौकरी पेशा लोगों के लिए टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट भी सबसे पॉपुलर विकल्प है क्योंकि इसके तहत भी आप टैक्स बचा सकते हैं। यदि आप इसमें 5 सालों की अवधि के लिए निवेश करते हैं तो इसमें आपको 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर आयकर की धारा 80 सी के तहत छूट मिलता है। इस पर किए जाने वाले निवेश पर अच्छा रिटर्न में प्राप्त होता है लेकिन इस पर टैक्स भी देना पड़ता है और इसके जरिए प्राप्त किए गए लाभ को अन्य स्रोतों से हुई आय में जोड़ा जाता है।
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
यदि आप जल्द रिटायरमेंट का प्लान बना रहे हैं और लांग टर्म सेविंग करना चाहते हैं तो नेशनल पेंशन स्कीम सबसे प्रचलित विकल्प है। नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश करने पर पब्लिक प्रोविडेंट फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में अधिक रिटर्न मिलता है लेकिन इसमें टैक्स का उतना अधिक फायदा नहीं मिल पाता है। सैलरी प्राप्त करने वाले व्यक्ति आयकर की धारा 80 सीसीडी (1) के तहत आधारभूत वेतन के 10% के बराबर टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसकी सीमा 1.5 लाख रुपए निर्धारित की गई है।
जीवन बीमा (Life Insurance)
यदि आप जीवन बीमा कराते हैं तो इसमें आपको टैक्स में छूट मिलने के साथ ही साथ वित्तीय सुरक्षा भी होती है। जीवन बीमा पॉलिसी खरीद कर आपने सिर्फ टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं बल्कि अपने परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं को भी सुरक्षित कर सकते हैं। जीवन बीमा पॉलिसी खरीद कर आप 1.5 लाख रुपए के प्रीमियम पर आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स बचा सकते हैं। इसके अलावा जीवन बीमा में मृत्यु लाभ और अतिजीवन लाभ भी धारा 10 (10D) के तहत टैक्स एक्सेम्प्टेड है।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
किसी भी वेतन प्राप्त करने वाले नौकरी पेशा व्यक्त किए सैलेरी स्ट्रक्चर का एक हिस्सा रेंट अलाउंस का भी होता है। जो भी वेतन प्राप्त करने वाले नौकरी पेशा व्यक्ति किराए के मकान में रहते हैं वे टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं। आयकर अधिनियम के तहत यदि कोई वेतन प्राप्त करने वाला नौकरीपेशा व्यक्ति किराए के मकान में रह रहा है तो उसे सेक्शन 10 तेरा एक के तहत टैक्स में लाभ दिया जाता है। टैक्स देने लायक आय को कुल आय में से हाउस रेंट अलाउंस घटाकर गणना की जाती है। लेकिन यदि आप खुद के मकान में रह रहे हैं और कोई किराया नहीं दे रहे हैं तो आपको हाउस रेंट अलाउंस पर टैक्स देना पड़ेगा।